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फिर से चरण वंदना का प्रार्थी हूं" मात-पिता का ऋण

फिर से चरण वंदना का प्रार्थी हूं"

मात-पिता का ऋण बाकी है,
शून्य  हृदय  की ये  झांकी है।

लाड प्यार में बिगड़ गया था,
 जीवन  भर  का  अपराधी हूं।

कैसे  कहूं पिता  अभिनंदन,
 मैं भी  आपका  अभिलाषी हूं।

मुक्त करें अभिशाप से मुझको,
फिर से चरण वंदना का प्रार्थी हूं।

©Anuj Ray
  #FathersDay 
#फिर से चरण वंदना का प्रार्थी हूं"
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Anuj Ray

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#FathersDay #फिर से चरण वंदना का प्रार्थी हूं" #ज़िन्दगी

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