window seat (सफ़र और अजनबी दोस्त) कहानी (भाग-१) ©deepali बस में window seat की तरफ बढ़ना बचपन से आदत थी मेरी और ये आदत आज भी मेरे साथ है। में बस में चढ़ी सब तरफ नज़रें घुमाई और देखा कि एक भी window सीट खाली नहीं है मन थोड़ा उदास हुआ,,,, और एक सीट पर जा बैठी। बगल में यानी window seat पर एक क्यूट सा लड़का बैठा था,,,, एक मन तो किया कि उससे बात करु पर बचपन से मां सीखा था कि अनजान लोगों से बात नहीं करनी चाहिए खास कर के लड़कों से,,,,, में उसे नज़र अंदाज़ करने लग गई। (कुछ देर बाद) वो मेरी मनोवृत्ति भाप गया और बोला,,,, hello Miss,,, मैंने कोई जवाब नहीं दिय