हर शख्स के पास हैं दलीलें मग़र दिल नहीं बहुत आसान है समझना मग़र कोई हल नहीं हर शख्स है यहाँ अपना फ़िर भी वीरान हूँ मैं आज़ तो हूँ ज़िंदा मग़र कल नहीं ZindaGi-e-SaGar #दलीनें #poetry रोहित तिवारी Soumya Jain