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आहट तेरे क़दमों की, अब सुनाई नहीं देती। ख़ता क्या

आहट तेरे क़दमों की, अब सुनाई नहीं देती।

ख़ता क्या हो गई, क्यूंँ दिखाई नहीं देती।

कॉरोना का डर है या खफा है मुझसे।

मेरे जीत की अब क्यूंँ, बधाई नहीं देती। #आहट #तेरे #क़दमों #की
#korona
आहट तेरे क़दमों की, अब सुनाई नहीं देती।

ख़ता क्या हो गई, क्यूंँ दिखाई नहीं देती।

कॉरोना का डर है या खफा है मुझसे।

मेरे जीत की अब क्यूंँ, बधाई नहीं देती। #आहट #तेरे #क़दमों #की
#korona