इस नयन में प्रीत का एक नया सा ख़ाब है क्यारियां महक रही खिल रहा गुलाब है आगमन तुम्हारा द्वार दिल निहारता अभी जा रहे है गढ़े प्रेम नगर रोम रोम में सभी अब मिलोगे तब मिलोगे कोनसा जवाब है इस नयन में प्रीत का एक..... होंठ को छुए बिना बाँसुरी क्या गा रही लग रहा जो राधिका श्याम को बुला रही सांस सांस डूबती जब तैरते जस्बात है इस नयन में प्रीत का एक..... ज्योति तुम जिंदगी की दूर अंधेरा किया व्याकुल से मन को छाँव का पहरा दिया क्या गणित तुम्हारा जाने कोनसा हिसाब है इस नयन में प्रीत का एक..... लग रहा है तुमसे जैसे सूर्य चंद्र रात है बिन तुम्हारे शून्य सारे आफताब है सृष्टियां भी पढ़ रही प्रेम की किताब है इस नयन में प्रीत का एक..... ©डॉ. मोहन बैरागी/20/03/19 #NojotoQuote मेरा नया गीत