मन ही मन से विरल तरल हो फिर कौन सा द्वीप सितारा होगा स्वयं, स्वयं से रहें विरत तो अपना कौन हमारा होगा मन की गति मन ही ना जाने किस पथ पर फिर जाना होगा स्वयं, स्वयं की ठाम न पाए फिर अपना कौन ठिकाना होगा मन ही मन से क्षुब्ध रहे तो क्या फिर हमको प्यारा होगा साथ स्वयं का भी ना दें तो बोलो कौन सहारा होगा अग - जग जीतोगे क्या भाई जब मन से ही मन हारा होगा संबल सबल जगाओ मन में! ये स्वयं अचल ध्रुवतारा होगा प्रकट कहेंगी सभी दिशाएँ उज्ज्वल पंथ तुम्हारा होगा किस पथ तुमको जाना है मन! निर्णय स्वयं तुम्हारा होगा कोई आशा नहीं किसी से हृदबल अचल तुम्हारा होगा स्मित आनन अभिमुख उन्नत हो निश्चय अटल तुम्हारा होगा स्वयं, स्वयं को थाम चलो बस पार सकल भवसारा होगा #toyou#yqselfquest#yqgingerly#yqfindingin#yqfaith#yqbeauty