संत ना छाड़े संतई, जो कोटिक मिले असंत, चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत। --- संत कबीर दास अर्थ : सज्जन व्यक्ति को भले करोड़ों दुष्ट पुरुष मिल जायें फिर भी वह अपने भले स्वभाव को नहीं छोड़ता है। जिस प्रकार चन्दन के पेड़ से सांप लिपटे रहते हैं, पर वृक्ष अपनी शीतलता कभी नहीं छोड़ता है। Gentlemen may find millions of wicked people, yet they do not give up their good nature. Like Snakes live on the sandalwood tree by clinging to it, but Tree never gives up its coolness. #character