कभी अपने चाँद पर इतरा कर, कभी तारों पर गुमान कर, ये रात भी चिढ़ाती है अब मुझे .. कहती है ..देख लो वो ‘महबूब’ का ख़्वाब मुझमे ही ‘सुकून’ से, कि ‘प्यार’ तेरे नसीब में नहीं.. ऐ रात बस अब तेरा ही सहारा है.. चाँद को अपनी गोद में सुलाकर, तारों की कहानियां सुनाती हूँ, रोकर,सुबह अलविदा कह, ख़्वाबीदा रात का इंतिज़ार करती हूँ.. #चाँद #तारें #गुमान #प्यार #ख़्वाबीदा #रात #yqbaba #yqdidi