अकेले पुरूष के जीवन में किसी प्रकार की सांसारिक गतिविघि नहीं होती। अकेली कन्या की जीवन शैली कार्यकलापों, परंपराओं, व्रत-तप अर्चन से लेकर मां का गृहकार्यो में सहयोग छोटे भाई-बहनों की देखभाल आदि कार्यो से भरी रहती है। Good morning ji 💕👨☕☕☕☕🍨🍨☕☕🍵🍵🍵🍵😊💕💕☕🍫🍫🍸🍹🍹🍓🍓 : मां भी उसी को प्रताडित करती है। बेटा तो मानो विशिष्ट सुविधा प्राप्त जीव होता है। बेटी को दूसरे घर जाकर रहना है। पूरी तरह प्रशिक्षित करके भेजना चाहिए। वरना, उसकी सास पूरी उम्र लड़की की मां को ही कोसती रहती है। नया घर बेटी के लिए नरक बन जाता है। बेटे को तो साथ ही रहना है। : देख लेंगे। हां, कन्या पूजन से लेकर कन्यादान तक की यात्रा शक्ति के विकास की यात्रा कही जा सकती है। स्नेह, ममता, वात्सल्य, धैर्य, सहनशीलता, सेवा आदि गुणों से लेकर मंत्र, अनुष्ठान, पूजा और स्त्रैण भाव से ओत-प्रोत हो जाती है। स्वयं के बजाए शेष घरवालों के लिए जीना सीखती है। हंसती है, गाती है, नाचती है, शिवजी को रिझाती है। वहीं से वर मांगती है, संतान मांगती है। पार्वती से सुहाग के लिए जीने की आशीष मांगती है। माया स्वयं के लिए नहीं ब्रह्म के लिए जीती है। : #komal sharma