कभी दीवानी बनती हूं कभी सयानी बन जाती हूं ये कैसा प्रेमरोग औरों की जिंदगानी बन जाती हूं। दिल में हो दर्द तो कोई पढ़ न सके मेरी आंखों से दर्द छुपाने को कभी आंखों की पानी बन जाती हूं। तन्हा जिंदगी है पर कभी तन्हाई से डरती नहीं हूं अंधेरों में किसी अजनबी की नूरानी बन जाती हूं। इस दिल में नहीं कुछ भी उनके चाहत के शिवाय ज़रा अपनापन से किसी की कहानी बन जाती हूं ख्वाबों की दुनिया संजो जी रही हूं अपनी जिंदगी इश्क के वशीभूत होके कभी रूहानी बन जाती हूं। ये चाहत क्या चीज़ है की दिल मेरे वश में न रही जिसने चाहा मुझे मीरा जैसी दीवानी बन जाती हूं। ©OMG INDIA WORLD कभी दीवानी बनती हूं कभी सयानी बन जाती हूं ये कैसा प्रेमरोग औरों की जिंदगानी बन जाती हूं। दिल में हो दर्द तो कोई पढ़ न सके मेरी आंखों से दर्द छुपाने को कभी आंखों की पानी बन जाती हूं। तन्हा जिंदगी है पर कभी तन्हाई से डरती नहीं हूं अंधेरों में किसी अजनबी की नूरानी बन जाती हूं। इस दिल में नहीं कुछ भी उनके चाहत के शिवाय ज़रा अपनापन से किसी की कहानी बन जाती हूं ख्वाबों की दुनिया संजो जी रही हूं अपनी जिंदगी इश्क के वशीभूत होके कभी रूहानी बन जाती हूं। ये चाहत क्या चीज़ है की दिल मेरे वश में न रही जिसने चाहा मुझे मीरा जैसी दीवानी बन जाती हूं। #OMGINDIAWORLD