रेत सी फ़िसलती सी है जिन्दगि तेरे बिना अधूरी सी है जिन्दगि तू जाने कब समझेगा हमें साखी, तुझसे ही बनती है हमारी परछाई, तेरी तस्वीर की अक्स सी है जिन्दगि