शहर अब दरख्तों पर कोई परिंदा न होगा, मुर्दो का शहर है, कोई जिंदा न होगा। शर्म इंसानियत बिक गयी बाजारू होकर, अपनी करतूतों पर कोई शर्मिंदा न होगा। ~ सूर्यांश #hindikavita #hindiurdushayri #hindiworld #hindiwriters #hindikavyasangam #hindimotivational #hindi_poetry #hindilekh #hindi_shayari #poeticworld #panchdoot_news #writers_community #writersblock #writersarena #writing #writersnetwork #writersofinstagram #writersden #writersociety