chapter 3. आज मैं कर रहा हूं खुद को रिहा, आप सबने मेरे शो पर मेरी कहानी सुनी, लिखता आ रहा हूं बोलता आ रहा हूं, मेरी लड़ाई सिर्फ मुझसे है, पर वो तो वो था जो मेरे साथ हुआ, और कभी शिकायत नहीं करी, मैं ये कभी नही बोला न ही सोचा की मेरे साथ ही क्यूं, जो होता गया सहता गया, झेलता गया, अपना दर्द बयान करता गया, उस समय शायद सिर्फ खुद को जिंदा रख पाना ही एक मात्र सहारा था, पर कहां से आई थी वो शक्ति वो ताकत उस सबसे झेलने की, उससे लड़ने की, उसके पीछे दो स्तंभ हैं, पहला जहां मैं सच्चा वहां से पीछे हटा नहीं, लेकिन साथ ही साथ ये भी समझता चला गया, कि जो मेरे साथ हो रहा है वो किस प्रकार मेरे अपने ही कर्मो का फल है, इसका ज्ञान मेरी ताकत बनता गया, पिछले किसी जन्म के नहीं क्योंकि उस सब पर मुझे विश्वास नहीं, पर इसी जन्म में हुए मुझसे हुए हर दुष्कर्म का ही फल है, इसलिए रोते पीटते हस्ते सब झेलता गया।।। जाने अंजाने में मैं न जाने कितने ही लोगों के, दुखो का, उनके दिलों को पहुंची ठेस का कारण हूं।। इस सब से मैं कभी इनकार करता नहीं। to be continued...... in chapter 4. ©Akhil Kael chapter 3 #hanumanjayanti