कभी कभी हम कितने अकेले पड़ जाते है ना
सब कुछ सही चल रहा होता है और अचानक से कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है की सब उथल पुथल मच जाती है समझ में ही नहीं आता की क्या कर रहे है और क्या किया जाए
भविष्य बनाये या कुछ ज़रूरी रिश्ते चुने हम इक़दम से उलझ जाते है कही
और ऐसी situation में ना कोई होता है पास जिसे हम कुछ कह सके पूछ सके बता सके अपने दिल की बात
बस गम रहते है अपनी परेशानियों में अपनी उलझनों में
कोई हो जो हमे भी कभी सम्भाल ले और इस बुरे वक़्त में चीज़ो को और उलझाने के बजाय कोसिस करे सुलझाने की
पारा कहाँ होता है कोई ऐसा
फिर भी हम करते रहते है इक झूठी उम्मीद की कोई तो हो जो आये समेटे और समझाए दे हिम्मत की #Poetry