है तेरी नज़रों का ही जादू, बिन कहे सब पढ़ लेती हो। कभी पलकें झुकाकर कभी उठाकर हाल ए दिल बता देती हो। कभी आंखें प्यासी नज़र आती, कभी इसमें समंदर नज़र आता। कैसे बताऊं कैसे समझाऊं, आंखों से तेरे जज़्बात नज़र आता है।। रूठे रूठे है अंदाज़ तेरे, पर कातिल आंखों में है मुस्कान तेरे। जुबां तो है ख़ामोश तेरी, पर शरारती आंखों में है राज सारे।। राज़ नहीं ये तो गहरा राज़ है, आंख तो दिल का हमराज है। ये नशीली कातिल आंखें ही, हर चेहरे का श्रृंगार और साज हैं।। 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या - 15. है, आप सब को दिए गए शीर्षक के साथ Collab करना है..! 👉 आप अपनी रचनाओं को आठ पंक्तियों (8) में लिखें..! 👉Collab करने के बाद Comment box में Done जरूर लिखें,और Comment box में अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें..! 👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!