अक्टूबर २५ , शुक्रवार , "मनुष्य को बहुमूल्य रत्नों से भरी एक खान के समान समझो केवल शिक्षा ही इसके कोषों को उजागर कर सकती है यदि कोई व्यक्ति उस पर विचार कर जो प्रभु की इच्छा द्वारा भेजे गए ग्रन्थों में लिखा हुआ है , तो वह तुरन्त पहचान लेगा कि उनका उद्देश्य यह है कि सभी मनुष्यों को एक आत्मा के समान मानना चाहिए. बहाउल्लाह 25/10/2019 Vikash Kumar