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क्यों रखते हो उठा के चाहतें तिजोरी में, इन्हें रख

क्यों रखते हो उठा के चाहतें तिजोरी में, 
इन्हें रखो अपनों के हृदय की कोठरी में। 
खूब वक्त दो खुद के सपने साकार करने को
छोड़ दो जीना अब कल्पना कोरी में। 
अंधेरों में टटोलने की आदत अच्छी नहीं 
आशा का दीपक सदा रौशन रखो अपनी दोहरी में। 
अपनों के सपनों में जीने में बुरा क्या है 
अपने सपनों का भी संगम कर लो बची जिंदगी थोड़ी में। 
आशा का इक दीप सदा प्रजवल्लित करके रखना अपने घर की डयोड़ी में। 

क्यों रखते हो उठा के चाहतें तिजोरी में, 
इन्हें रखो अपनों के हृदय की कोठरी में। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
08.08.2020
 चाहतों की तिजोरी
क्यों रखते हो उठा के चाहतें तिजोरी में, 
इन्हें रखो अपनों के हृदय की कोठरी में। 
खूब वक्त दो खुद के सपने साकार करने को
छोड़ दो जीना अब कल्पना कोरी में। 
अंधेरों में टटोलने की आदत अच्छी नहीं 
आशा का दीपक सदा रौशन रखो अपनी दोहरी में। 
अपनों के सपनों में जीने में बुरा क्या है 
अपने सपनों का भी संगम कर लो बची जिंदगी थोड़ी में। 
आशा का इक दीप सदा प्रजवल्लित करके रखना अपने घर की डयोड़ी में। 

क्यों रखते हो उठा के चाहतें तिजोरी में, 
इन्हें रखो अपनों के हृदय की कोठरी में। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
08.08.2020
 चाहतों की तिजोरी
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