क़ैद रखोगी कब तक, अब तो मेरी रिहाई लिख दो, सुना है डॉक्टर बन गई, तो चिट्ठे पर अब दवाई लिख दो! छोड़ दिया था तूने हज़ार झूठी कसमें खाकर तब तो, चलो एक मौका देते हैं, अब तो एकआध बुराई लिख दो! मैंने चाहा तुझे, रक्खा ख़ुद को ठंडा दिसंबर की मानिंद, तुम चाहो तो मुझे, बेदर्द, झुलसाने वाली जुलाई लिख दो! ज़िंदगी, मौत, रिश्ते, नाते सब को छोड़ दिया बहुत पहले, तुम भी रुख़सत होने से पहले, गुनाहों की कमाई लिख दो! कर सको तो जाने से पहले सब उधेड़ जाना तुम इस बार, और ना करो तो फिर वफ़ा के धागे से सिलाई लिख दो! एक नज़्म - जब मुलाकात दुबारा हो उनसे जिनसे कभी इश्क़ था, वो इश्क़ तो जिंदा है फिर भी ज़िन्दा नहीं! रंग बदलने लगते हैं अक्सर रिश्तों में सुधार रिश्तों में होना लाज़मी है!!!!! #kumaarsthought #kumaarpoem #सिलाई #रिहाइ #yqdidi #yqhindishayari #yqdidiquotes