नींद उजड़ी है ख्वाबों में, जहां पर रात सिमटी है। मोहब्बत की वो कस्ती,कहीं मझधार में पलटी है।। डूबने लगा मैं तो कहीं, जैसे समुन्द्र की लहरों में। जहां मेरे हाथों की मिट्टी,उसके हाथों से लिपटी है।। #neendujadihai