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संवेदना - हीन होता समाज, हो रहा निरंतर पतनोन्मुख।

संवेदना - हीन होता समाज,
 हो रहा निरंतर पतनोन्मुख।
निज हिताय अवलोक्य मनुज,
बन रहा दनुज पातक दुर्मुख।
भावी  पीढ़ी  का  हश्र  सोच,
उद्वेलित  अंतर्मन  अर्जुन,
यह प्रश्न विकट त्रैलोक्य-पति!
है विचारार्थ तेरे सम्मुख।
अरुण शुक्ल 'अर्जुन'
 प्रयागराज Sukesh Yadav1234 Pàñdéy Àñuràg Rahul Prajapati shekh mohsin Shubh Bhanodiya AnusHka SinGh
संवेदना - हीन होता समाज,
 हो रहा निरंतर पतनोन्मुख।
निज हिताय अवलोक्य मनुज,
बन रहा दनुज पातक दुर्मुख।
भावी  पीढ़ी  का  हश्र  सोच,
उद्वेलित  अंतर्मन  अर्जुन,
यह प्रश्न विकट त्रैलोक्य-पति!
है विचारार्थ तेरे सम्मुख।
अरुण शुक्ल 'अर्जुन'
 प्रयागराज Sukesh Yadav1234 Pàñdéy Àñuràg Rahul Prajapati shekh mohsin Shubh Bhanodiya AnusHka SinGh