जब जरा सा भी, देखोगे हमारी तरह। सब कुछ विशेष, देखोगे हमारी तरह।। जब से देखा है तुमने नजरभर इन फूलों को, ये भी अब, मुस्कुराने लगे हैं तुम्हारी तरह।। और हमारा क्या, हमें तो बिछड़ना ही है, चले जायेंगे हम बुझे हुए दीपक की तरह।। और भूल जाना, कि कोई था भी कभी, बदल जाना तुम एक मौसम की तरह।। फूलों की तरह मुस्कुराते रहो