खाद तेरी जड़ों मे पड़ी खाद हूँ मैं तू बस बीच मे है तेरे पहले भी हूँ तेरे बाद भी हूँ तेरी जड़ों मे पड़ी खाद हूँ मैं तू बस बढ़ता रहे इसी तरह तुझे आबाद करने के लिये ही बर्बाद हूँ मैं तेरी जड़ों मे पड़ी खाद हूँ मैं एक दिन मे नहीं बना मैं ऐसा कभी किसी के अच्छे दिनों की याद हूँ मैं तेरी जड़ों मे पड़ी खाद हूँ मैं ©शिवम मिश्र