White अप्सरा-अवतरण देखो, आसमाँ की ओर एक रीत बह रही; पल्लवित करते उस जग को धरा की ओर उतर रही। बाहें खुली, आंखों की टकटकी गले से पानी सूख रही। मन मे बढ़ती उत्कंठा भला वो कब से उतर रही ? तेज हवा, सूरज को ढकते बादल कलरव करती वो दिख रहीं उतरते हुए हंसो पे सवार, मुस्कानों से पुष्प बिखेर रही। सफेद वस्त्र, सुनहरे बाल नयनों में मोती झलकाते हुए; तीक्ष्ण कटि, ये पतले अधर लिए मानो, तपिस में वर्षा करा रही।। धार-सी नाक, फैलते ये गाल ऊंची कद, हाथ मे बल मात्र एक पग आगे बढ़ा- मानो, जग को सुधा-रस भींगो रही। To be Continued..... ©Saurav life #rajdhani_night #sauravlife