हरपल हमेशा इक कसक रह गई। हरपल मेरी थी,पर मेरी न रह गई।। रात की रानाई पूछती है उसके बारे में, जो चांदनी तेरी थी वो अब कहाँ गई। क्या जवाब दूं मैं अब इस तन्हाई को, के वक़्त के दरमियां वो बेवफा हो गई। नहीं, ये नहीं कह सकता उसको कभी, सफर के दरमियां ,दूसरे रास्ते पे मुड़ गई। गाहे- ब-गाहे आ जाती हैं सदायें उसकी, कैसे कह दें हम कि वो बेवफ़ा हो गई। इश्क़ सिखाता है करना इंतजार किसी का, शायद पसन्द नहीं था,कहीं और चली गई। Read here👇👇👇... #हरपल हमेशा इक #कसक रह गई। हरपल मेरी थी,पर मेरी न रह गई।। रात की #रानाई पूछती है उसके बारे में, जो #चांदनी तेरी थी वो अब कहाँ गई। क्या #जवाब दूं मैं अब इस #तन्हाई को,