न जाने क्या हो गया है कुछ अजीबसा माहौल हो गया है लड़ते थे दिनभर जिनसे वो अपने हो गए हैं जिस घर जाने के लिए दौड़ते थे वही घर मानो पराया हो गया है कहीं हम हैं, कहीं तुम हो वक़्त भी जैसे.. थम सा गया है चांद को देख कर खुद को समझा लेते हैं जो दूर है, वो चांद की चांदनी में महफूज सोया है दिन आएगा सूरज उगेगा बंधनों से निकलकर आज़ाद पंछियों की तरह भागेंगे जब सच कहता हूं मिलने के बाद .. वही क्षण हमेशा याद रहेगा। #क्वारंटाइन