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// आरम्भ // आरम्भ के नीचे खड़ा हूं बडा बेबस और ब

// आरम्भ //


आरम्भ के नीचे खड़ा हूं
बडा बेबस और बडा तन्हा हूं

लड़ रहा जिांदगी की जंग
अपने सच्चे साथियों को छोड़ के
बहुत दूर अकेला पड़ा हूं
आरम्भ के नीचे खड़ा हूं

अब रोज आ रही हैं नयी नयी चुनौतिया
और खुद से ही हर रोज हार जा रहा हूं
आरम्भ के नीचे खड़ा हूाँ

इस स्वय  युद्ध में भला कौन साथ देगा
अपनों को छोड़ कर पीछे की ओर
कहीं बहुत दूर चले जा रहा हूं
आरम्भ के नीचे खड़ा हूं

लेकिन  अब शून्य से शिखर तक चढ़ना है
कुछ करना है या मरना है
ये सोच कर सरे दर्द खुद पर सहे जा रहा हूं
मेरे दोस्त
आरम्भ के नीचे खड़ा हूं






‌़

©Garb pandit777 #lonely #poem #Garbpandit777 #gauravmishra
// आरम्भ //


आरम्भ के नीचे खड़ा हूं
बडा बेबस और बडा तन्हा हूं

लड़ रहा जिांदगी की जंग
अपने सच्चे साथियों को छोड़ के
बहुत दूर अकेला पड़ा हूं
आरम्भ के नीचे खड़ा हूं

अब रोज आ रही हैं नयी नयी चुनौतिया
और खुद से ही हर रोज हार जा रहा हूं
आरम्भ के नीचे खड़ा हूाँ

इस स्वय  युद्ध में भला कौन साथ देगा
अपनों को छोड़ कर पीछे की ओर
कहीं बहुत दूर चले जा रहा हूं
आरम्भ के नीचे खड़ा हूं

लेकिन  अब शून्य से शिखर तक चढ़ना है
कुछ करना है या मरना है
ये सोच कर सरे दर्द खुद पर सहे जा रहा हूं
मेरे दोस्त
आरम्भ के नीचे खड़ा हूं






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©Garb pandit777 #lonely #poem #Garbpandit777 #gauravmishra