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चाँद बादलों से अभी निकला कि नहीं न जाने आज भी वो स

चाँद बादलों से अभी निकला कि नहीं
न जाने आज भी वो सोया कि नहीं

बादलों में खोया इश्क है वो मेरा
सफ़र में बिछड़ा प्रीत है वो मेरा
उसने खुद को अभी ढूँढा कि नहीं
चाँद बादलों से अभी निकला क़ि नहीं

रात की एकांत में, 
टिमटिमाते तारों क़े बीच 
गुनगुनाती समीर क़े बीच 
उसने मुझें क़भी याद किया क़ि नहीं
चाँद बादलों से अभी निकला क़ि नहीं

खुली आँखों से एक ग़हरी नींद सोकर
बंद कमरे में कभी मेरी तरह रोकर
तकिये क़ो उसने क़भी भिगोया की नहीं
चाँद बादलों से अभीे निकला क़ि नहीं
न जाने आज़ भी वो सोया क़ि नहीं
#मk
 चाँद बादलों से अभी निकला क़ि नहीं..#nojoto#poem#quotes#kumarmukesh
चाँद बादलों से अभी निकला कि नहीं
न जाने आज भी वो सोया कि नहीं

बादलों में खोया इश्क है वो मेरा
सफ़र में बिछड़ा प्रीत है वो मेरा
उसने खुद को अभी ढूँढा कि नहीं
चाँद बादलों से अभी निकला क़ि नहीं

रात की एकांत में, 
टिमटिमाते तारों क़े बीच 
गुनगुनाती समीर क़े बीच 
उसने मुझें क़भी याद किया क़ि नहीं
चाँद बादलों से अभी निकला क़ि नहीं

खुली आँखों से एक ग़हरी नींद सोकर
बंद कमरे में कभी मेरी तरह रोकर
तकिये क़ो उसने क़भी भिगोया की नहीं
चाँद बादलों से अभीे निकला क़ि नहीं
न जाने आज़ भी वो सोया क़ि नहीं
#मk
 चाँद बादलों से अभी निकला क़ि नहीं..#nojoto#poem#quotes#kumarmukesh
nojotouser5892009374

mukesh verma

Bronze Star
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