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हमने चाहा था दिल को तुम्हारा मिले तुम तो लेकर बेवफ़

हमने चाहा था दिल को तुम्हारा मिले
तुम तो लेकर बेवफ़ाई हमसे हर बार मिले।
सूरत थी तेरी भोली वो चेहरा था तेरा सादा
उस सादगी के पीछे क्या खूब तुम फनकार मिले।
लेकर चेहरा तेरा नज़र में हम शेहराओँ में भटकते रहे।
तेरी मासूमियत के पीछे वो चेहरे भी दाग़दार मिले।
तेरी बेवफ़ाई से शर्मिंदा फिर मोहब्बत है।
क्युँ बनके मोहब्बत के तुम हमसे गुनाहगार मिले।
दिल में था तेरे झूठ तेरी मासूमियत भी झूठी थी।
और होंठों पर लेकर झूठ तुम नजाने कितनी बार मिले।
तेरे दिल में था कोई और तो एक बार हमसे कह देते।
तेरा ये सितम भी हँस हँस कर हम सह लेते।
पर तुम्हे तो शौक़ था इस दिल के क़त्ल करने का।
तो तरीके और भी थे ज़माने में क़त्ल करने के।
बस तुम्हें तो यार मेरे बेवफ़ाई के ही औज़ार मिले।
गिला तुमसे नहीं है अब शिकायत है उस खुद से।
मेरे मौला मेरे नसीब में ये कैसे वफ़ादार मिले।
या तो अब ज़मीं से कोई ज़लज़ला उठा तूँ।
या फिर आसमाँ से तूँ बिजलियाँ गिरा दे।
मौला तेरे ज़हान में तनहा बड़ा है दिल।
या तो मुझे बुला ले या ज़मीं पर तूँ आकर मिल।
तेरी बंदगी से ज्यादा मुझे ईश्क़ थी सनम से।
तो हिस्से में मेरे दिल के क्युँ ऐसे बेवफा यार मिले।
अब ज़ुस्तज़ु है तेरी ना उस बेवफ़ा सनम की।
रुख़्सत तेरे ज़हान से मुझको तो एकबार मिले।
रुख़्सत तेरे ज़हान से मुझको तो एकबार मिले।।

           - क्रांति #बेवफ़ाई #क्रांति
हमने चाहा था दिल को तुम्हारा मिले
तुम तो लेकर बेवफ़ाई हमसे हर बार मिले।
सूरत थी तेरी भोली वो चेहरा था तेरा सादा
उस सादगी के पीछे क्या खूब तुम फनकार मिले।
लेकर चेहरा तेरा नज़र में हम शेहराओँ में भटकते रहे।
तेरी मासूमियत के पीछे वो चेहरे भी दाग़दार मिले।
तेरी बेवफ़ाई से शर्मिंदा फिर मोहब्बत है।
क्युँ बनके मोहब्बत के तुम हमसे गुनाहगार मिले।
दिल में था तेरे झूठ तेरी मासूमियत भी झूठी थी।
और होंठों पर लेकर झूठ तुम नजाने कितनी बार मिले।
तेरे दिल में था कोई और तो एक बार हमसे कह देते।
तेरा ये सितम भी हँस हँस कर हम सह लेते।
पर तुम्हे तो शौक़ था इस दिल के क़त्ल करने का।
तो तरीके और भी थे ज़माने में क़त्ल करने के।
बस तुम्हें तो यार मेरे बेवफ़ाई के ही औज़ार मिले।
गिला तुमसे नहीं है अब शिकायत है उस खुद से।
मेरे मौला मेरे नसीब में ये कैसे वफ़ादार मिले।
या तो अब ज़मीं से कोई ज़लज़ला उठा तूँ।
या फिर आसमाँ से तूँ बिजलियाँ गिरा दे।
मौला तेरे ज़हान में तनहा बड़ा है दिल।
या तो मुझे बुला ले या ज़मीं पर तूँ आकर मिल।
तेरी बंदगी से ज्यादा मुझे ईश्क़ थी सनम से।
तो हिस्से में मेरे दिल के क्युँ ऐसे बेवफा यार मिले।
अब ज़ुस्तज़ु है तेरी ना उस बेवफ़ा सनम की।
रुख़्सत तेरे ज़हान से मुझको तो एकबार मिले।
रुख़्सत तेरे ज़हान से मुझको तो एकबार मिले।।

           - क्रांति #बेवफ़ाई #क्रांति