करते तो हो तुम हर क्षण शर्मसार, करते हो न जाने कितने अत्याचार। बहु, बेटी, माँ और बहन... करी सबकी इज्ज़त तुमने तार-तार। ओ इंसान के वेश में भेडियों, अपनी हवस मिटाने को... बनाते हो मासूमों को शिकार, क्यों करते हो उनका बलात्कार? करते तो हो तुम हर क्षण शर्मसार, करते हो न जाने कितने अत्याचार। बहु, बेटी, माँ और बहन... करी सबकी इज्ज़त तुमने तार-तार। ओ इंसान के वेश में भेडियों, अपनी हवस मिटाने को... बनाते हो मासूमों को शिकार,