नाैकरी करिहाै सरकारी ना त बेचे पड़ताे तरकारी बगली में रहताे पईसा तबे खुश हाेइ ताे धिया,मेहर,महतारी दाेस्ताे इस काेराना काल में हम सब ने ये महसूस किया है कि आमदनी का काेई स्थायी साधन अवश्य हाेना चाहिए।मैने बहुत से ऐसे युवाओं का पश्चताप भी देखा ,जाे समय रहते अपने अभिभावक की बाताें का मान नहीं रख पाये और आज उन्हें अपनी लापरवाही का दुष्परिणाम भुगतना पड़ रहा। पर कुछ लाेग अब भी नहीं सुधरे है।उन लाेगाे के लिए लाँक डाउन का मतलब देर तक साेना,चैटिंग करना ,और गेम खेलना है। वैसे युवाओं से आग्रह है 🙏भविष्य कीं साेचें । नहीं ताे...... धिया-पुत्री मेहर-पत्नि महतारी-माँ बगली-पाँकेट