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क्या हुआ जो आज मैं निशब्द हूं लेटा हूं चिरनिद्रा म

क्या हुआ जो आज मैं निशब्द हूं
लेटा हूं चिरनिद्रा में  फिर भी सशक्त हूं
 देह बेशक चेतना हीन हो आज मेरा 
पर मेरे शब्द गूंजेंगे यह आश्वस्त हूं 
आज अलविदा कह कर 
अपनी याद छोड़ जाता हूं 
गीत नया गाता हूं, गीत नया गाता हूं! 
राष्ट्र को समर्पित 
कुछ काव्य  सुमन मेरे  अर्पित 
राष्ट्र सेवा ही  प्रण था 
यह भाव करता मुझे  गर्वित
 इस बाग के हर पुष्प की खुशबू लिए चला  हूं
 मैं राष्ट्र को विकास के पथ पर लिए चला हूं 
राजनीति के इस जर्जर  भवन का 
पुनर्निर्माण कर जाता हूं
 गीत नया गाता हूं! गीत नया गाता हूं! 
"पंडित अटल बिहारी वाजपेई जी की कविता को आगे बढ़ाते हुए उनको अपने काव्य पंक्तियों के माध्यम से मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि! 
:- "बलवंत सिंह रौतेला 
सहायक अध्यापक- एल. टी. ( विज्ञान) 
रा. उ. मा. वि.  ओखलढुंगा
क्या हुआ जो आज मैं निशब्द हूं
लेटा हूं चिरनिद्रा में  फिर भी सशक्त हूं
 देह बेशक चेतना हीन हो आज मेरा 
पर मेरे शब्द गूंजेंगे यह आश्वस्त हूं 
आज अलविदा कह कर 
अपनी याद छोड़ जाता हूं 
गीत नया गाता हूं, गीत नया गाता हूं! 
राष्ट्र को समर्पित 
कुछ काव्य  सुमन मेरे  अर्पित 
राष्ट्र सेवा ही  प्रण था 
यह भाव करता मुझे  गर्वित
 इस बाग के हर पुष्प की खुशबू लिए चला  हूं
 मैं राष्ट्र को विकास के पथ पर लिए चला हूं 
राजनीति के इस जर्जर  भवन का 
पुनर्निर्माण कर जाता हूं
 गीत नया गाता हूं! गीत नया गाता हूं! 
"पंडित अटल बिहारी वाजपेई जी की कविता को आगे बढ़ाते हुए उनको अपने काव्य पंक्तियों के माध्यम से मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि! 
:- "बलवंत सिंह रौतेला 
सहायक अध्यापक- एल. टी. ( विज्ञान) 
रा. उ. मा. वि.  ओखलढुंगा
balwantrautela5554

मलंग

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