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किस बात का गुमांन, कर रहा है रे इंसान, क्या औकात ह

किस बात का गुमांन, कर रहा है रे इंसान,
क्या औकात है तेरी, क्या है तेरी पहचान,

मिट्टी का बना   मूरत है तू
इक बारिश में ढह जाएगा,
हर चीज़ तेरी मिट जाएगी
तू ख़ाक में  मिल  जाएगा,

यही तेरी सच्चाई है,   यही   तेरा  अंजाम,
किस बात का गुमांन, कर रहा है रे इंसान,

©Sakib Ashrafi किस बात का गुमांन । by Sakib Ashrafi.
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किस बात का गुमांन, कर रहा है रे इंसान,
क्या औकात है तेरी, क्या है तेरी पहचान,

मिट्टी का बना   मूरत है तू
इक बारिश में ढह जाएगा,
हर चीज़ तेरी मिट जाएगी
तू ख़ाक में  मिल  जाएगा,

यही तेरी सच्चाई है,   यही   तेरा  अंजाम,
किस बात का गुमांन, कर रहा है रे इंसान,

©Sakib Ashrafi किस बात का गुमांन । by Sakib Ashrafi.
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