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हमें समाज की मानसिकता,इस कदर से बदलनी होगी। कंडोम

हमें समाज की मानसिकता,इस कदर से बदलनी होगी।
कंडोम की सही उपादेयता समझनी होगी।।
भाई मैं कंडोम हूं,कोई मनोरंजन का साधन नहीं,,,
तुम जिस्म वाले मेरी किस्म के बारे में मत पूछो
मैं रोकता हूं सिर्फ अनचाहे गर्भ को
और करता हूं जनसंख्या नियंत्रण।
रोकता हूं मैं रोगों का संक्रमण
फिर तुम यह दानेदार कंडोम क्यों लेकर आते हो।।
मैं नारी हूं योग की वस्तु हूं ना कि भोग की वस्तु,
फिर भी तुम ने मुझे मनोरंजन का साधन माना है।
इसलिए तूने कंडोम का सही अर्थ कब जाना है।।

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)
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