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यूं सब सही है बेरुखी में, मज़ा कहा है अब उस गली मे

यूं सब सही है बेरुखी में,
मज़ा कहा है अब उस गली में,

एक नुक्कर की चाय प्यारी है हमें,
हम सिकन्दर है खुद ही के,

कैद कोई हमें कर ले,
सलाखे कहां कोई ऐसी बनी है,

साकी जी भर के पिलाएं,
मैखाने से हमारी दोस्ती बड़ी है,

अंधेरे हमारे लौटने की घड़ी है,
एक चांद दिखे तो समझना यहीं महफ़िल है। यूं सब सही है बेरुखी में,
मज़ा कहा है अब उस गली में,

एक नुक्कर की चाय प्यारी है हमें,
हम सिकन्दर है खुद ही के,

कैद कोई हमें कर ले,
सलाखे कहां कोई ऐसी बनी है,
यूं सब सही है बेरुखी में,
मज़ा कहा है अब उस गली में,

एक नुक्कर की चाय प्यारी है हमें,
हम सिकन्दर है खुद ही के,

कैद कोई हमें कर ले,
सलाखे कहां कोई ऐसी बनी है,

साकी जी भर के पिलाएं,
मैखाने से हमारी दोस्ती बड़ी है,

अंधेरे हमारे लौटने की घड़ी है,
एक चांद दिखे तो समझना यहीं महफ़िल है। यूं सब सही है बेरुखी में,
मज़ा कहा है अब उस गली में,

एक नुक्कर की चाय प्यारी है हमें,
हम सिकन्दर है खुद ही के,

कैद कोई हमें कर ले,
सलाखे कहां कोई ऐसी बनी है,
alexakash4915

alex akash

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