है दर्द नहीं उन दर्दो से जो दर्द मैं झेल के रोया हूं. ना इश्क, मोहब्बत, प्यार कभी... ना सपने मैं ऐसी सजोया हूं. कभी राज करू इस दुनिया पे... ना वो गंदी बीज मै बोया हूं. --- कुमार आदित्य... बस पूछ रहा एक प्रश्न खुद ही से.. जब सोच लिया देना जीवन मां भारती को... फिर मैं कैसे सोया हूं... फिर मैं कैसे सोया हूं। how how am I away from the way...