खुद में ही खो जाती हूँ जब याद आते हो तुम, न रहता मेरा ठिकाना जब याद आते हो तुम, एक पुष्प की भांति प्लवन हो बहने लगती हूँ, एकदम शांत हो जाती जब याद आते हो तुम, तृष्णाओं के जलधारा भी उफ़ान सा भरती है, बरस जाती बन झरना जब तुम याद आते हो, स्मृतियों के पट भी खुलते फिर नित बारम्बार, यादगार हो जाती याद,जब तुम याद आते हो, शब्दसागर में तुम्हें ही हर बार फिर टटोलती हूँ, हो जाती नीरव सम काया,जब तुम याद आते हो। ♥️ Challenge-584 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।