जिस आंख में बरसाती पानी था बो रो चुकी है जमीन में गाड़ी हुई तेरी हर एक कील नफरत के बीज बो चुकी है ज़ुल्म के सीने पर घाब क्यों नहीं करते तुम्हारे लफ्ज़ सुखनबरो लगता तुम्हारी कलम में सरकारी स्याही थी जो ख़तम हो चुकी है ©ਕਾਲਾ 🥂🥂🤞🤞 #किसान_एकता_जिंदाबाद #bhagatsingh