नदी (नारी) नदी हूं मैं पहचान की हरदम बहती रहती हूं मिलता मुझको पथ कैसा भी मैं उस पर चलती रहती हूं कंकड़ पत्थर चाहे कचरे मुझ में सब मिलते जाते हैं कहीं रामायण कहीं गीता में नाम हमारे आते हैं नाम हूं या बदनाम हूं मैं यह सब कुछ सहती रहती हूं नदी हूं मैं पहचान यही कि हरदम बहती रहती हूं मंजिल हो जो उसमें मिलकर अस्तित्व कहां रह पाता है बारिश हो वन हो उपवन हो सागर का नाम गवाता हैं फिर भी खुश हूं उस नाम से जिस नाम में मैं रहती हूं नदी हूं मैं पहचानती हरदम बहती रहती हूं हर कदम हमारा शांत रहा चाहे पथ मुझे कैसा भी मिले पर आ जाए जब क्रोध हमें किस्ती तो क्या हर द्वीप हिले हो जाए भव पानी पानी पर मन में सब कुछ गहती हूं नदी मै पहचान यही हरदम बहती रहती हूं जीवन की अमूल्य है एहसांसों से हमने खुद को संवारा है कभी बनी अमृत की धारा कभी चमकता सितारा है कुछ खट्टी कुछ मीठी सी बन बैठी जीवंत तस्वीर सी दिल में सबके रहती हैं नदी में पहचाने कि हरदम बहती रहती हूं नदी हूं मैं पहचान..............😐 Shalmali Shreyanker ©shalmali shreyanker #shalmalishreyanker #Virel #Nojoto #Nari #Ga #L♥️ve #loV€fOR€v€R #Riverbankblue