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मोती शब्दों के बंद रह जाते हैं पन्नों में कई बार

मोती शब्दों के बंद रह जाते हैं पन्नों में कई बार
 या टूट जाती है माला अल्फाजों की ।
कई बार कागज पर अक्षर  उकेर ही नहीं पाती हूं लफ्जों की।
 रंग सारे खत्म हो जाते हैं कई बार
 तस्वीर खुद की बनाने से पहले।
 दरख़्त पर नाम हमारा उकेरने से पहले
 टूट जाती है टहनियां कई बार ।
या थक जाती है ये उंगलियां कई बार 
कलम को पकड़ने से पहले ।
धुन सारे बेसुरे हो जाते हैं कई बार
 गीत तुम्हें एक सुनाने से पहले।
 कई बार सूज जाते हैं यह पैर
 महफिल में थिरकने से पहले।

©Zindagi with neha
  
never regret   and do everything what you want
neha1512716554455

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New Creator

never regret and do everything what you want #Life

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