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बदलती भावनाओं का बार बार ये कैसा है सुरूर, मेरे ह

 बदलती भावनाओं का बार बार ये कैसा है सुरूर,
मेरे होते नहीं हो आख़िर क्यों ऐ मेरे हुज़ूर..!

शबाब पर चढ़ा है शराब का नशा क्या,
खूबसूरती का ये कैसा है गुरुर..!

न आहात करो दिल को हमारे,
चाहतों का असर है ये तेरा फ़ितूर..!

ख़ूबियाँ हमारी पहचान गए जो तुम,
साँसों से बढ़कर हो जायेंगे हम ज़रूर..!

दम्भ में जो ख़ुद को समझते हो ख़ुदा तुम,
हमें भी न अहम् में होने को करो यूँ मजबूर..!

सीरत को नज़रअंदाज़ कर सूरत पे जो मरते हो,
हम भी हैं जालिम अपने माँ-बाप के कोहिनूर..!

©SHIVA KANT
  #kohinoor