ऐ जो आसमानों से शबनमी बुंदे धरती पर आने लगें हैं, मेरे महबूब का संदेशा लाने लगें हैं। युं हीं नहीं शर्माती रातरानी जुगनूवों देख के, उसे पता है वो भी हमें चाहने लगें हैं।।