ये भीड़भाड़ से भरा संसार हैं। जहां देखो,कतार ही कतार हैं। आबादी रोजाना यहां बढ़ रहीं हैं। परेशानियां बहुत सारी गढ़ रहीं हैं। रोने के मुद्दे बनाती ये हजार हैं। जहां देखो, कतार ही कतार हैं। शहरी लोग रेंग रेंग कर चल रहे हैं। कीड़ों मकोडो की तरह पल रहे हैं। सड़को पर बेशुमार मोटर कार हैं। जहां देखो, कतार ही कतार हैं। नौकरी मिलना नहीं आसान यहां, परेशान दिखा मुझे हर इंसान यहां, दफ्तर में लोग कम,ज्यादा बाहर हैं। जहां देखो, कतार ही कतार हैं। रोटियां अब हम गिन कर खा रहे हैं। लजीज खाने की कहानी सुना रहे हैं। पकवान के सिर्फ ख़्वाबों में दीदार है। जहां देखो कतार ही कतार हैं। स्कूल और कॉलेजों के भी यही हाल हैं। दाखिला ना मिलने का बढ़ता मलाल हैं। भविष्य मासूमों का हो रहा कुर्बान हैं। जहां देखो कतार ही कतार हैं। कुदरत के संसाधन तो अब बढ़ने से रहे। हम हवा, पानी और ज़मीन गढ़ने से रहे। इंसानों की बढ़ती खरपतवार हैं। जहां देखो कतार ही कतार हैं। -Keshav #worldpopulation #Population #India #socialissues