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यू उखड़े - उखड़े से बैठे रहते हो... किसी ने दिल दुख

यू उखड़े  - उखड़े से बैठे रहते हो...
किसी ने दिल दुखाया है क्या...
दिल पे लगे घावों को किसी ने फिर से सहलाया है क्या...
याद आती होगी इसका इतल्ला है मुझ नाचीज को भी...
पर इस तरहा तन्हा रहना भी किसी  ने सिखाया है क्या...
यू उखड़े  - उखड़े से बैठे रहते हो...
किसी ने दिल दुखाया है क्या...

Adarsh Mishra ✍️

©shayar Adarsh Mishra
  sayar Adarsh Mishra ✍️
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