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बहुत बेरुखी से पेश आए हैं ज़िंदगी से हम । अब उधड

बहुत बेरुखी से पेश 
आए हैं ज़िंदगी से हम । 
अब उधड़े-उधड़े 
लगते हैं कहीं-कहीं 
से हम ।।
बहुत बेरुखी से पेश 
आए हैं ज़िंदगी से हम । 
अब उधड़े-उधड़े 
लगते हैं कहीं-कहीं 
से हम ।।
dollysingh1777

M choudhary

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