ये सख़्ती जो इतने सालों से देख रही थी उनके लहजे में मैं, जाने कहाँ से आती थी.... और अब खुद घर से निकली तो देखा, नर्म से नर्म रोटी भी धूप पत्थर कर देती है। #quote #father's day #life #kavishala #hindinama #trulelove #sacrifice