धर्म दिया, विज्ञान दिया, दिया दाशमिकी पद्धति को , शून्य हो या त्रिकोणमिति , रचा यही सूर्यसिद्धांत को ! ना पढ़ी तुमने आर्यभटीय को, ना समझा अभिज्ञानशाकुन्तलम को , तुम्हे याद है विलियम शेक्सपीयर, पर भुल गए कालिदास को ! कभी नालन्दा देखा , कभी विक्रमशिला, देखा यही है गुरुकुल को , एलोरा हो या चित्रकारी अजंता कि समझा यही अपने इतिहास को! ©priyanka jha #Poertyunplugged #letter