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उम्मीद सासों में , हो जज़्बा बातो में धड़कते सीने मे

उम्मीद सासों में ,
हो जज़्बा बातो में
धड़कते सीने में अपने खुदा रखना

कुछ नही होगा
सब सही होगा
बस चलने वालो होंसला रखना

ये मिजाज़ -ए- वक्त , ये मौसम -ए- वबा
हाँ ये बुरा हो रहा है अब की मर्तबा

पर सोंचो पतझड़ के आने से कब उपवन घबराता है
क्या कुछ फूलों के मुरझाने से जंगल ही मर जाता है
 खूब ताक़त है वक्त में मगर, ये भी आदत है इसकी
गुज़रता है ये धीरे धीरे और एक दिन गुज़र जाता हैं।

क्यो डरते हो क्या लगता है ये वक्त यही रुक जाएगा
ये रुकना भी चाहे ,तो इसको रुकना कौन सिखाएगा

 ये तो खूब हुआ कि इंसा थोड़ा काबिल है
वरना पूछो चिड़िया से कितना मुश्किल है

तेज़ हवाओ में ,
बारिश की राहो में
तिनके से बना एक घोंसला रखना

ये वक्त भी बीतेगा ,
आदमी ही जीतेगा
चांद पर जा कर आने वालों वालों होंसला रखना (1)

मुश्किले भी मिलती है अगर तो बेवजह नही मिलती
खुशनसीबो को भी खुशियां हर जगह नहीं मिलती
ओ घबराने वालो, हर बात पे मुह लटकाने वालो
कोई ऐसी रात बता दो जिसके बाद सुबह नही मिलती

वज़ीर है जो शतरंज का, प्यादे की तरह कहाँ रोता है
पहले जाओ जाकर पूछो किसी चींटी से क्या होता है

 ऊपर से गिरकर फिर से ऊपर जाने का
मुश्किल की आंखों को आंख दिखाने का
जारी ये सिलसिला रखना

सूरज भी नज़र आएगा
ये अंधेरा भी मर जायेगा
इतनी दूर तक आने वालों...हौसला रखना। (2)

©Diwakar Pandey #KavyanjaliAntaragni21

#doubleface
उम्मीद सासों में ,
हो जज़्बा बातो में
धड़कते सीने में अपने खुदा रखना

कुछ नही होगा
सब सही होगा
बस चलने वालो होंसला रखना

ये मिजाज़ -ए- वक्त , ये मौसम -ए- वबा
हाँ ये बुरा हो रहा है अब की मर्तबा

पर सोंचो पतझड़ के आने से कब उपवन घबराता है
क्या कुछ फूलों के मुरझाने से जंगल ही मर जाता है
 खूब ताक़त है वक्त में मगर, ये भी आदत है इसकी
गुज़रता है ये धीरे धीरे और एक दिन गुज़र जाता हैं।

क्यो डरते हो क्या लगता है ये वक्त यही रुक जाएगा
ये रुकना भी चाहे ,तो इसको रुकना कौन सिखाएगा

 ये तो खूब हुआ कि इंसा थोड़ा काबिल है
वरना पूछो चिड़िया से कितना मुश्किल है

तेज़ हवाओ में ,
बारिश की राहो में
तिनके से बना एक घोंसला रखना

ये वक्त भी बीतेगा ,
आदमी ही जीतेगा
चांद पर जा कर आने वालों वालों होंसला रखना (1)

मुश्किले भी मिलती है अगर तो बेवजह नही मिलती
खुशनसीबो को भी खुशियां हर जगह नहीं मिलती
ओ घबराने वालो, हर बात पे मुह लटकाने वालो
कोई ऐसी रात बता दो जिसके बाद सुबह नही मिलती

वज़ीर है जो शतरंज का, प्यादे की तरह कहाँ रोता है
पहले जाओ जाकर पूछो किसी चींटी से क्या होता है

 ऊपर से गिरकर फिर से ऊपर जाने का
मुश्किल की आंखों को आंख दिखाने का
जारी ये सिलसिला रखना

सूरज भी नज़र आएगा
ये अंधेरा भी मर जायेगा
इतनी दूर तक आने वालों...हौसला रखना। (2)

©Diwakar Pandey #KavyanjaliAntaragni21

#doubleface