आज तड़के हुए वायु सेना के द्वारा पाकिस्तान पर हमले से प्रसन्न होकर मैं अपने इस कविता को उन सभी वीरों को समर्पित करता हूं जो सदैव अपनी जान को हथेली पर रखकर देश के सेवा में लगे हुए हैं।। भारत मां का बेटा हूं मैं ताल ठोक कर कहता हूं, जो करना है तू कर लेना हिंदुस्तान में ही रहता हूं।। जब भी तू ने आंख दिखाई हिमालय सा मैं लड़ता हूं,भारत मां की आंन की खातिर जान सफर का करता हूं।। पहले तो मैं बात अमन की प्रेम रस से करता हूं, युद्ध के मैदान में मैं वीर रस सा रहता हूं।। बहुत किया है तूने भी अपने मन की मनमानी को, खत्म हुआ अब खेल तुम्हारा देख ले अपनी बदनामी को।। पुलवामा के हमले से अब तू न बचने पाएगा, तू तो जाएगा ही और अपने राष्ट्र को भी ले जाएगा।। हम तो नहीं छोड़ेंगे तेरी इस बचकानी हरकत को, खुदा भी करेगा फलित तेरे इस नेमत के बरकत को।। युद्ध के मैदान में मैं चीख चीख के कहता हूं, जो करना है तू कर ले ना हिंदुस्तान में ही रहता हूं।। भारत मां का बेटा हूं मैं ताल ठोक कर कहता हूं बहुत-बहुत धन्यवाद आप सभी का ।आज बहुत दिनों बाद मैंने इस कविता को आप लोग के बीच रखा है आशा करता हूं कि आप को पसंद आएगी धन्यवाद।।विशाल सिंह कल्याण। #my first poem