कि जैसे दिल के लिए धड़कना जरूरी है। न गुनगुनाओगे तब तक ग़जल अधूरी है।। करीब मंजिले मकसूद यूँ लगे मानो- हिरन की नाफ़ में पोशीद कस्तूरी है।। भटक न जाएं कहीं हम, कभी ऐ "गुप्तेश्वर"- सफर में आप-सा, एक राहबर जरूरी है।। #पुष्कर गुप्तेश्वर जी