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बुझते हुए चराग को हवा दे गया कोई मौसम ए खिजा में

बुझते हुए चराग को हवा दे गया कोई
 मौसम ए खिजा में भी गुल खिला गया कोई

 थम चुकी थी जिनकी उम्मीदें इंसाफ के लिए इस जुल्म के अंधेरों में 
वक्त रहते ही इंसाफ का दीया फिर जला  गया कोई
#सर्वोच्च न्यायालय

©Aurangzeb Khan
  #सर्वोच्च न्यायालय

#सर्वोच्च न्यायालय #Society

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